प्रदेश में मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों एवं शिल्पियों के व्यवसाय में वृद्धि करने, तत्सम्बन्धित कलाकारों की परम्परागत कला को संरक्षित और सम्वर्धित करते हुए, उनकी समाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुदृढ़ता एवं तकनीकी विकास को बढ़ावा देने व विपणन आदि की सुविधा उपलब्ध कराने तथा परम्परागत उद्योगों को नवाचार के माध्यम से संरक्षित एवं संवर्धित करते हुए अधिकाधिक लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ”उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड” को एक स्वशासी निकाय के रूप में गठित किया गया। औद्योगिक जगत द्वारा कच्चेमाल के रूप में माटी का प्रयोग कर मूर्तियां, खिलौने, बर्तन, नरिया इत्यादि वस्तुएं बनाने का प्रचलन सदियों से रहा है। आज भी उ0प्र0 में पर्याप्त संख्या में माटीकला शिल्पी इस परम्परागत उद्यम में लगे हुये हैं। वर्तमान परिवेश में मिट्टी की वस्तुओं की मांग कम होने से एक तरफ परम्परागत कारीगरों के सक्षम रोजी रोटी की समस्या है, तो दूसरी तरफ माटी के आवश्यक विकल्प के रूप में प्लास्टिक उत्पादों का प्रसार निरन्तर बढ़ रहा है जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है| इस प्राचीन कला को संरक्षित करते हुए उक्त कला से निर्मित वस्तुओं को रोजगार युक्त कर आम जन तक पहुँचाने हेतु खादी तथा ग्रामोद्योग अनुभाग-01 की अधिसूचना संख्या: 475/59/1-2018, दिनांक 19 जुलाई 2018 द्वारा, उ0प्र0 माटीकला बोर्ड का गठन किया गया है| उ0प्र0 माटीकला बोर्ड की योजनाओं का क्रियान्वयन उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के मंडल स्तर पर तैनात परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी तथा जिला स्तर पर तैनात जिला ग्रामोद्योग अधिकारी के माध्यम से किया जाता है।